Payment of Gratuity in INDIA (भारत में ग्रेजुएटी भुगतान)
Gratuity क्या है ? :
ग्रेजुएटी किसी कर्मचारी को उसके नियोक्ता अथवा उसके संस्थान के द्वारा दिए जाने वाली वह एकमुश्त धनराशि है (जिसमे वह नौकरी कर रहा था ), यह धनराशि कर्मचारी के पांच वर्ष की ,निरंतर सेवा के पश्चात नौकरी छोड़ने , नौकरी से हटाए जाने , या रिटायर होने की स्थिति में दिया जाता है। ; बीमारी या दुर्घटना के कारण अपंगता की स्थिति में कर्मचारी को ; तथा कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में ग्रेजुएटी का लाभ उसके नॉमिनी /उत्तराधिकारी को पांच वर्षो की सीमा से पहले भी प्राप्त हो जाता है।
कर्मचारिओं को नौकरी छोड़ने या रिटायर होने या नौकरी के दौरान अपंगता या मृत्यु की स्थिति में उसके उत्तराधिकारी को Payment of Gratuity Act, 1972 सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक्ट फैक्ट्रीज , खनन उद्योग , रेलवे कंपनियों, बंदरगाहों, प्लांटेशन कंपनियों , आयल फील्ड , शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट अधिनियम के आधीन आने वाले संस्थानो के कर्मचारियों पर लागू होता है। इस एक्ट विस्तार /संसोधन Payment of Gratuity
(Amendment) Act, 2018 (12 of 2018) ; 29 March 2018 से भारत में लागू कर दिया है।
यहाँ पर हम वर्तमान में लागू Gratuity सुविधा पर ही चर्चा करें
किन् संस्थानों पर लागू होगा :
ग्रेजुएटी के लाभ को निर्धारित करने के लिए कर्मचारिओं को दो भागो में बांटा गया है निजी और सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले दोनों ही तरह के कर्मचारी इन दो श्रेणियों के आधीन आते हैं।:
श्रेणी -1 : Payment of Gratuity Act, 1972 के आधीन आने वाले कर्मचारी :
यह एक्ट फैक्ट्रीज , खनन उद्योग , रेलवे कंपनियों, बंदरगाहों, प्लांटेशन कंपनियों , आयल फील्ड , शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट अधिनियम के आधीन आने वाले संस्थानो पर अनिवार्य रूप से लागू होता है जहां पर कर्मचारियों की संख्या 10 या 10 से अधिक हो चुकी हो। ऐसी कोई संस्था जहां पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी एक दिन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों ने काम किया हो तो वो संस्था ग्रेजुएटी पेमेंट एक्ट के अंतर्गत आ जाती है। एक बार संस्थान में यह अधिनियम लागू होने के पश्चात उस संस्थान में हमेशा लागू रहेगा भले ही कर्मचारियों की संख्या 10 से कम क्यों न हो जाय।
श्रेणी -2 : Payment of Gratuity Act, 1972 के आधीन नहीं आने वाले कर्मचारी :
इसमें वे कर्मचारी आते है जिन पर कि Payment of Gratuity Act, 1972 लागू नहीं होता।
किन् कर्मचारिओं को लाभ मिलेगा :,
कर्मचारी को एक ही संस्थान में सेवा देते हुए न्यूनतम 5 वर्ष पूर्ण होने चाहिए ( 4 वर्ष 8 माह की नौकरी पूर्ण होने भी पर पूरे 5 वर्ष माने जायेंगे तथा खनन उद्योग में 4 वर्ष 6 माह की नौकरी पूर्ण होने भी पर पूरे 5 वर्ष माने जायेंगे ) तथा ग्रेजुएटी केवल नौकरी छोड़ने की स्तिथि में अथवा रिटायरमेंट की स्थिति में ही प्राप्त कर सकता है।
ग्रेजुएटी की गणना में सेवा काल का निर्धारण :
भू सतह के ऊपर संचालित होने वाले उद्योग में कार्यरत कर्मचारी के वर्ष में न्यूनतम 240 दिन कार्य अवधि (Working Days ) को Gratuity की गणना के लिए एक वर्ष की अवधि माना जाएगा।
भू सतह के नीचे संचालित होने वाले उद्योग में कार्यरत कर्मचारी के वर्ष में न्यूनतम 190 दिन कार्य अवधि (Working Days ) को Gratuity की गणना के लिए एक वर्ष की अवधि माना जाएगा।
विशेष : यदि कर्मचारी ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी वर्ष में इनसे कम दिन काम किया है तो फिर वह वर्ष और उससे पूर्व के वर्ष निरंतर सेवा (Continuous Service ) के वर्षों में शामिल नहीं होगा ।
किन् विशेष परिस्थितियों में 5 वर्ष से कम की सेवा में भी प्राप्त कर सकते है ?:
(1) कर्मचारी की सेवा के दौरान आकस्मिक मृत्यु होने पर ग्रेजुएटी का भुगतान उसके उत्तराधिकारी को।
(2) दुर्घटना अथवा बीमारी के कारण कर्मचारी का अपंग होने पर ।
ग्रेजुएटी की गणना (Calculation Of Gratuity ) :
ग्रेजुएटी की राशि कुल कार्यकाल वर्षो एवं उसके अंतिम वेतन पर निर्भर है।
ग्रेजुएटी की गणना के लिए अंतिम वेतन आखरी 10-माह में लिया गया औसत वेतन होगा (Average Salary of 10 Months ) लिया जाएगा
नियोक्ता /कंपनी द्वारा ग्रेज्युटी के लिए कर्मचारी को सेवा काल के हर वर्ष के लिए 15 दिन के वेतन के बराबर राशि प्रदान की जाती है।जो कि हर वर्षों के वेतन की गणना , अंतिम वेतन से ही की जाएगी।(महीने में अधिनियम के आधीन कर्मचारी को 26
दिन कार्यदिवस मानकर, अधिनियम के आधीन न आने वाले कर्मचारी को 30 दिन कार्यदिवस मानकर, तथा कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है।)
श्रेणी -1 : Payment of Gratuity Act, 1972 के आधीन नहीआने वाले कर्मचारी के लिए
ग्रेजुएटी की राशि (Amount of Gratuity ) = आखिरी वेतनx 15/26 xनौकरी की अवधि
(आखिरी वेतन= मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन यदि कोई हो तो)
उदाहरणार्थ श्री मनोहरलाल XYZ Transport Co. में 8 वर्ष के उपरांत नौकरी छोड़ देता है तथा उसका अंतिम वेतन 18000-है,तो उसकी
ग्रेजुएटी की राशि होगी =आखिरी वेतनxनौकरी की अवधि x 15/26= 18000 x 15/26 x 8 x 15/26 = Rs.83077-
श्रेणी -1 : Payment of Gratuity Act, 1972 के आधीन नहीं आने वाले कर्मचारी :
ग्रेजुएटी की राशि (Amount of Gratuity ) = आखिरी वेतन x 15/30 x नौकरी की अवधि
(आखिरी वेतन= मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन यदि कोई हो तो)
उदाहरणार्थ श्री दयाराम Payment of Gratuity Act, 1972 के आधीन नहीं आने वाले संस्थान के कर्मचारी थे और 8 वर्ष के उपरांत नौकरी छोड़ देते है
तथा उसका अंतिम वेतन भी रु. 18000-है, तो उनकी
ग्रेजुएटी की राशि होगी =आखिरी वेतनxनौकरी की अवधि x 15/30 = 18000 x 15/30 x 8 = Rs.72000 -
ग्रेजुएटी की राशि की अधिकतम सीमा :
ग्रेजुएटी पेमेंट की अधिकतम सीमा 20 लाख रूपये है। भले ही कर्मचारी ने कितने ही वर्ष कार्य किया हो, अथवा कितने ही कंपनियों में काम किया हो , एक कर्मचारी अपने सभी कार्यकालों का कुल मिला के 20 लाख से अधिक ग्रेजुएटी प्राप्त नहीं कर सकता है।
कर्मचारी की मृत्यु स्थिति में ग्रेजुएटी की गणना:
ऐसी स्थिति में ग्रेजुएटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर किया जाता है, (यहाँ भीअधिकतम 20 लाख रुपए तक की सीमा है।)
नौकरी की अवधि
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ग्रेजुएटी की दर
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एक साल से कम
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मूल वेतन का दोगुना
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एक साल से ज्यादा लेकिन 5 साल से कम
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मूल वेतन का छह गुना
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5 साल से ज्यादा लेकिन 11 साल से कम
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मूल वेतन का 12 गुना
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11 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम
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मूल वेतन का 20 गुना
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20 साल से ज्यादा नौकरी
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हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा। (परिलब्धियों के 33 गुना से ज्यादा ना हो)
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ग्रेजुएटी भुगतान की समय सीमा :
नियमानुसार कर्मचारी को ग्रेजुएटी का भुगतान नौकरी छोडने /हटाने /रिटायरमेंट / अपंगता/मृत्यु के तीस दिनों के अंदर करना होता है। बिना किसी उचित कारण के अधिक विलम्ब नहीं कर सकते है।
यदि कर्मचारी का दवा अस्वीकार किया जा रहा है तो इसकी लिखित सूचना तीस दिनों के अंदर कर्मचारी को देना अनिवार्य है। तीस दिनों के पश्चात नियोक्ता /संस्थान ग्रेजुएटी के दावे की अस्वीकृति कर्मचारी को नहीं भेज सकता।
क्या ग्रेजुएटी की राशि जप्त की जा सकती है ? (Forfeit of Gratuity ):
जी हां नियोक्ता ग्रेजुएटी की राशि को जब्त कर सकता है यदि कर्मचारी सेवा काल में किसी हिंसक व्यवहार अथवा गंभीर रूप से गलत आचरण गंभीर अनैतिक आचरणके कारण नौकरी से निकला गया हो।
इस प्रकार की परिस्थिति में यह आवश्यक है की नियोक्ता कर्मचारी को दोषी पाये जाने पर उचित तरीके से जांच प्रक्रिया सम्पनं करे एवं कर्मचारी को उसके अनुचित ब्यवहार की जानकारी देते हुए उसे नौकरी से बर्ख्वास्तगी का नोटिस जारी करे।
ग्रेजुएटी की राशि पर Income Tax :
20 लाख रूपए तक की ग्रेजुएटी की राशि आयकर से मुक्त है किन्तु यदि कोई संस्थान 20 लाख रूपए से अधिक राशि ग्रेजुएटी के रूप में देता है तो अतरिक्त राशि पर नियमानुसार कर देना होगा।
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